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गुरुवार, 22 मई 2008

प्रश्‍न : क्‍या मैं प्रधानमंत्री जी को इण्‍टरनेट से शिकायत भेज सकती हूँ – रमा बांदिल, सदर बाजार मुरैना

प्रश्‍न : क्‍या मैं प्रधानमंत्री जी को इण्‍टरनेट से शिकायत भेज सकती हूँ रमा बांदिल, सदर बाजार मुरैना

उत्‍तर : जी हॉं बिल्‍कुल आप प्रधानमंत्री जी को ऑनलाइन शिकायत कर सकतीं हैं आपको शिकायत का क्रमांक और उस पर की गयी कार्यवाही की जानकारी भी नियमित रूप से मिलती है । इसके लिये आप हमारी ई सेवाओं का प्रयोग कर सकतीं हैं, वर्तमान में यह सेवायें पूर्णत: निशुल्‍क हैं ।

प्रश्‍न : क्‍या इण्‍टरनेट के जरिये खरीददारी करना सुरक्षित है – अविनाश शर्मा, ललितपुर कालोनी, लश्‍कर, ग्‍वालियर म.प्र.

प्रश्‍न : क्‍या इण्‍टरनेट के जरिये खरीददारी करना सुरक्षित है अविनाश शर्मा, ललितपुर कालोनी, लश्‍कर, ग्‍वालियर म.प्र.

उत्‍तर : इण्‍टरनेट के जरिये खरीददारी अभी सिर्फ एक हद तक ही सुरक्षित है, इसमें अधिकांशत: क्रेडिटकार्ड या डेबिटकार्ड के जरिये भुगतान मांगा जाता है । भारतवासी इन कार्डो की प्रणाली से अभी अधिक सुपरिचित यानि फेमिलियर नहीं है । लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि इण्‍टरनेट की खरीददारी इससे असुरक्षित है । केवल कुछ सवाधानीयां बरतीं जायें तो इसमें कोई खतरा नहीं है । आप जिस वेबसाइट को खोल कर उसके जरिये खरीददारी करते हैं, वह स्‍थानीय हो या सुपरिचित व सुप्रतिष्ठित हो, फर्जी वेबसाइट अक्‍सर ई मेल स्‍पामिंग या फिशिंग ई मेलों के जरिये अड़ी चालाकी से सुझाई जातीं हैं और किसी न किसी प्रकार का आकर्षक लोभ लालच देकर उसे खलवाने का प्रयास किया जाता है फिर उस पर कुछ भुगतान करने या अपना यूजर नेम पासवर्ड भरने की अपेक्षा की जाती है, इस प्रकार आपका आडेण्‍टीफिकेशन या यूजर नेम पासवर्ड और क्रेडिट कार्ड से सॅम्‍बन्धित जानकारी इन जाली वेबसाइटों के जरिये चुरा ली जाती है और फिर आपके साथ ठगी व जालसाजी के जरिये आपको चूना लगाया जाता है । बेहतर है कि आप वेबसाइट को ई मेल में क्लिक करके या एड्रेस कापी कर के न खोलें, इसी प्रकार सर्च एन्जिन के जरिये साइट खोल कर खरीददारी न करें इसमें असल वेबसाइट के मिलते जुलते नाम या वेब पते जैसी फर्जी वेबसाइट खुलने के अवसर अधिक होते हैं । भविष्‍य में कभी हम बतायेंगे कि असल वेबसाइट और फर्जी वेबसाइटें कैसे पहचानी जा सकतीं हैं । बेहतर है कि आप अभी स्‍थानीय वेबसाइटों और स्‍थानीय सुपरिचित शापिंग माल या ई सेवाओं का ही प्रयोग करें, और बैंकड्राफ्ट या मनी आर्डर भुगतान करें । वर्ष 2009 तक आपके आसपास सैकड़ों की संख्‍या में ई शापिंग सेण्‍टर्स नजर आयेंगे ।

 

क्‍या होता है एफ.एम., ये एफ.एम. क्‍या बला है – राकेश सिंह धाकरे, सुभाष नगर, हजीरा ग्‍वालियर

प्रश्‍न : क्‍या होता है एफ.एम., ये एफ.एम. क्‍या बला है राकेश सिंह धाकरे, सुभाष नगर, हजीरा ग्‍वालियर

उत्‍तर: रेडियो तंरंगों को अभी तक दो पारम्‍परिक तरीकों से सूदूर सम्‍प्रेषित किया जाता है, पिछले कुछ साल तक सर्वाधिक लोकप्रिय तरीका था ए.एम. अर्थात एम्‍प्‍लीट्यूड मॉडयूलेशन के जरिये, इसमें तरंगों के आयाम का मॉडयूलेशन किया जाता है जिसे ए.एम. या एम्‍पलीटयूड मॉडयूलेशन कहते हैं । इस विधि से पारम्‍परिक रेडियो प्रसारण भारत में होता है, दूरदर्शन के देश भर में फैलने से पहले भारत में रेडियो ही एक ऐसा मीडिया था जो गॉंवो और जंगलों तक पहुँचता था इसमें यही एम्‍पलीटयूड मॉडयूलेशन इस्‍तेमाल किया जाता था/ है । इसकी विशेषता यह है कि इस प्रकार के मॉडयूलेशन में तरंगों का प्रसारण काफी दूर तक किया जा सकता है, जैसे बी.बी.सी. या रेडियो सीलोन, या विविधि भारती आदि करते थे, रेडियो पर बिनाका गीत माला जिसका कि प्रसारण काफी दूर से होने के बावजूद समूचे देश के गॉंवों जंगलों में सुना जाता था । इस विधि में कमी यह है कि इसमें नॉइज अर्थात शोरगुल एवं सिग्‍नल्‍स फ्लक्‍चुएशन्‍स अधिक रहते हैं और कभी कभी साफ सुनायी नहीं देता ।

रेडियो तरंगों के प्रसारण की दूसरी विधि भी हालांकि काफी पुरानी है परन्‍तु पिछले कुछ वर्षों से इसका अधिक प्रयोग किया जा रहा है, इसे एफ.एम. या फ्रिक्‍वेन्‍सी मॉडयूलेशन कहते हैं, इसमें तरंगों की आवृत्ति का माडयूलेशन किया जाता है और फिर इसे सम्‍प्रेषित करते हैं इस प्रक्रिया में नॉइज और सिग्‍नल्‍स फ्लक्‍चुएशन्‍स नहीं होते और मॉडयूलेशन के वक्‍त की गुणवत्‍ता रिसीवर को डिमॉडयूलेशन के बाद यथावत प्राप्‍त होती है । और रिसीवर सेट पर न तो शोरगुल आता है न सिग्‍नल्‍स फ्लक्‍चुएशन्‍स । इसका उपयोग वर्तमान में टी.वी. प्रसारण, एफ.एम.रेडियो, वायरलेस सेटों आदि में किया जाता है । इस विधि के सम्‍प्रेषण में कमी यह है कि इसे अधिक दूर तक सम्‍प्रेषित नहीं किया जा सकता अत: इसमें जगह जगह पुन:सम्‍प्रेषण केन्‍द्र यानि रिले सेण्‍टर्स या डिश रिसीवर्स लगा कर पुन: सम्‍प्रेषण करना पड़ता है । अत: यह विधि खर्चीली और मंहगी पड़ती है । यही एफ.एम. या फ्रिक्‍वेन्‍सी मॉडयूलेशन है ।

मंगलवार, 20 मई 2008

चम्‍बल की मशहूर और अच्‍छी चीजें कौनसी हैं – अमरजीत सिंह, लुधियाना पंजाब, वर्तमान में कनाडा

प्रश्‍न- चम्‍बल की मशहूर और अच्‍छी चीजें कौनसी हैं अमरजीत सिंह, लुधियाना पंजाब, वर्तमान में कनाडा

उत्‍तर- बड़ा मुश्किल सवाल है अमरजीत भाई, वैसे तो यहॉं का सब कुछ मशहूर है, लेकिन अगर टॉप टेन जानना चाहते हैं तो भारतीय सेना में यहॉं के फौजी, शहीद रामप्रसाद विस्मिल, तिली की गजक, देशी घी, सरसों और सरसों का तेल, चम्‍बल का बदला, चम्‍बल की गद्दारी, खुद चम्‍बल घाटी, चम्‍बल के डकैत और अपहरण, और दसवें नंबर पर हमें गिन लीजिये । अच्‍छी चीजें वैसे तो स्‍वाभिमान, देशभक्ति और न्‍यायप्रियता हैं, लेकिन चम्‍बल में मुझे जो सबसे अच्‍छा लगता है वह है यहॉं के गॉंव और खेत, यहॉं के भेले भाले और सीधे सच्‍चे लोग, मुझे फख्र है यह मेरी मातृभूमि और अब मेरी कर्मभूमि है ।    

   

रविवार, 18 मई 2008

चम्‍बल संभाग में कितने जिले हैं, म.प्र. की स्‍थापना कब हुयी – प्रेमराज सिंह, इटावा उ.प्र.

प्रश्‍न - चम्‍बल संभाग में कितने जिले हैं, म.प्र. की स्‍थापना कब हुयी प्रेमराज सिंह, इटावा उ.प्र.

उत्‍तर- चम्‍बल संभाग में तीन जिले हैं, मुरैना, श्‍योपुर एवं भिण्‍ड । म.प्र. की स्‍थापना 1 नवम्‍बर 1956 को हुयी, वर्ष सन् 2000 में इसका पुनर्गठन हुआ तथा छत्‍तीसगढ़ एक पृथक राज्‍य के रूप में इससे अलग हो गया ।  

 

शुक्रवार, 16 मई 2008

आपकी वेब साइट पर भिण्‍ड के समाचार क्‍यों नहीं प्रकाशित किये जाते – कंचन जैन, नई आबादी भिण्‍ड

आपकी वेब साइट पर भिण्‍ड के समाचार क्‍यों नहीं प्रकाशित किये जाते कंचन जैन, नई आबादी भिण्‍ड

उत्‍तर- कंचन जी, आपका कहना सही है, लेकिन हमारे द्वारा लगभग 50-55 बार अनुरोध किये जाने के बावजूद जिला जनसम्‍पर्क कार्यालय भिण्‍ड द्वारा हमें समाचारों के ई मेल नहीं भेजे जाते तथा हमारे संसाधन सीमित हैं, हमारा निजी संवाददाता वहॉं पर पदस्‍थ नहीं हैं । हमें भिण्‍ड, दतिया, श्‍योपुर सम्‍बन्‍धी समाचार किसी भी स्‍त्रोत से प्राप्‍त होगें तो हम अवश्‍य ही सहर्ष प्रकाशित करेंगे । अन्‍य स्‍त्रोत में हम उन्‍हीं समाचारों का प्रकाशन करते हैं जिनकी प्रमाणिकता, सत्‍यता व विश्‍वसनीयता हम पहले जॉंच कर सयंदेह से परे परख लेते हैं ।