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मंगलवार, 4 अगस्त 2009

अटल बिहारी वाजपेई भारतीय सूचना प्रौद्यौगिकी एवं प्रबंध संस्थान ग्वालियर -सुभाष चन्द्र अरोड़ा

अटल बिहारी वाजपेई भारतीय सूचना प्रौद्यौगिकी एवं प्रबंध संस्थान ग्वालियर

(भारत सरकार का स्वशासी संस्थान)

v                 सुभाष चन्द्र अरोड़ा

 


v                 प्रस्तुतकर्ता संभागीय जनसंपर्क कार्यालय ग्वालियर में संयुक्त संचालक है ।

 

ई-गवर्नेंस साफ्टवेयर निर्माण हेतु पुरूस्कृत

ग्वालियर के अटल बिहारी वाजपेई प्रौद्यौगिकी संस्थान को ई गवर्नेंस की दृष्टि से उपयोगी '' फाईल ट्रेकिंग सिस्टम'' सॉफ्टवेयर निर्माण हेतु प्रदेश के सूचना प्रौद्यौगिकी मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय ने '' ई गवर्नेंस इनीशेटीव इन मध्य प्रदेश'' पुरूस्कार प्रदान किया। फाईल ट्रेकिंग सिस्टम के इस सॉफ्टवेयर का आई आई आई टी एम के डॉ. अनुराग श्रीवास्तव, डॉ. दिलीप कुमार एवं दो छात्रों विनीत रंजन एवं रोहित शुक्ला द्वारा निर्माण किया गया। यह द्विभाषीय सॉफ्टवेयर ओपन सोर्स तकनीक पर आधारित है। इस सॉफ्टवेयर की मदद से किसी भी विभाग अथवा संस्थान में आने व जाने वाली फाइलों का रिकार्ड आराम से रखा जा सकता है साथ ही समय समय पर फाइल की स्थिति की जानकारी भी ली जा सकती है।

 

 

अटलबिहारी वाजपेई भारतीय सूचना प्रौद्यौगिकी एवं प्रबंध संस्थान ग्वालियर भारत सरकार द्वारा स्थापित एक समविश्वविद्यालय है। यह सूचना प्रौद्यौगिकी तथा प्रबंधन दोनों क्षेत्रों में एक प्रतिष्ठित संस्थान है तथा विश्वस्तर का नामचीन संस्थान बनने के लिये प्रयासरत है।

       यह संस्थान 160 एकड़ के परिसर में निर्मित है तथा सक्षम शिक्षकों के साथ ही कलात्मक प्रयोगशालाओं से सुसज्जित है। इस संस्थान का परिसर सभी आवश्यक सुविधाओं से परिपूर्ण है, जहां छात्रों के व्यक्तित्व के सम्रग विकास के प्रयत्न किये जाते हैं। यहां की गतिविधियों का उद्देश्य छात्रों में जानकारी तथा शोध संस्कृति को बढ़ावा देना है।

       अ बि वा. भारतीय सूचना प्रौद्यौगिकी एवं प्रबंध संस्थान ग्वालियर का उद्देश्य देश में सूचना प्राद्यौगिकी तथा प्रबंधन की शिक्षा में बेंचमार्क स्तर की स्टेट ऑफ आर्ट सुविधायें प्रदान करना है। इस संस्थान का परिसर आधुनिक संचार सुविधाओं से सुसज्जित है। संस्थान, प्रबंधन एवं सूचना प्रौद्यौगिकी के क्षेत्र में सम्पूर्ण ज्ञान को प्रदान करने वाले वातावरण को तैयार करने वाले शिक्षा केन्द्र के रूप में स्थान प्राप्त कर चुका है।

       उद्योगों से संबंधित प्रबंधन के कार्यक्रम सलाहकार सेवा प्रदान करते हुए, संस्थान में समकालीन तथा संबंधित शोध क्षेत्रों की पहचान की जा चुकी है। आई आई आई टी एम. की शोध सुविधाओं को प्रयोगशाला  परा संरचनाओं के द्वारा सशक्त बनाया गया है।

       शैक्षणिक पोषण के हित के लिये संस्थान में शोध पर विशेष बल दिया जा रहा है। प्रयोगशालाओं को सशक्त बनाकर छात्रों तथा शिक्षकों को शोध कार्यों में समाहित कर देश विदेश के विश्व विद्यालयों से सहयोग बढ़ाकर इन उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सका है। वर्तमान में संस्थान में निम्नलिखित प्रयोगशालायें संचालित हैं।

       आधारभूत इलेक्ट्रानिक प्रयोगशाला, डिजिटल प्रणाली प्रयोगशाला, संचार प्रणाली प्रयोगशाला, कम्प्यूटर नेटवर्किंग प्रयोगशाला, जेनेटिक कम्प्यूटिंग प्रयोगशाला (1,2,3), कम्यूनिकेशन स्किल प्रयोगशाला, वी एल एस आई. डिजाइन प्रयोगशाला, बिजनिस इनफोर्मेटिक्स प्रयोगशाला, ह्यूमनसेन्टर्ड कम्प्यूटिंग प्रयोगशाला, इन्फोर्मेशन सिक्योरिटी प्रयोगशाला, इंजीनियरिंग भौतिकी प्रयोगशाला तथा आई सी टी. कार्यशाला ।

       संस्थान के पुस्तकालय में प्रबंधन सूचना प्रौद्यौगिकी कम्प्यूटर विज्ञान, नेटवर्किंग, समाज विज्ञान के साथ साथ औद्यौगिक शोध पत्र तथा परियोजना प्रतिवेदनों सहित पाठय पुस्तकों व संदर्भ ग्रंथों का अच्छा संग्रह है।

       आई आई आई टी एम. ने सूचना स्रोतों की प्राप्ति का विस्तार डाटाबेस एक्सेस वर्चुअल पुस्तकालय के द्वारा किया है। यह पुस्तकालय इनडेस्ट कान्सोर्टियम का सदस्य है। पुस्तकालय द्वारा ई बी एस. को. के माध्यम से 800 से ज्यादा पत्रिकाओं को प्राप्त किया गया तथा सी. एम. आई. ई. द्वारा इकोनोमिक डाटाबेस उपलब्ध कराया गया है। संस्थान का पुस्तकालय सूचना प्रौद्यौगिकी तथा प्रबंधन के क्षेत्र की 200 से अधिक पत्र पत्रिकाओं को मंगाता है। इस पुस्तकालय में दर्शन शास्त्र योग आदि की पुस्तकें भी हैं। वर्तमान में छात्रों के लिये 14,500 पुस्तकें उपलब्ध हैं।

शैक्षणिक कार्यक्रम का रूपांकन इस अवधारणा से किया गया है, कि प्रबंधन, को सूचना प्रौद्यौगिकी के साधन के रूप में प्रभावशाली ढंग से संयुक्त किया जाये। पाठयक्रम का रूपांकन सूचना प्रौद्यौगिकी से संबंधित

आधुनिक विकास को ध्यान में रखकर किया गया है। इसमें साफ्टवेयर, नेटवर्किंग, मोबाइल, कंप्यूटिंग, व्ही एल एस आई. रूपांकन आदि के क्षेत्र सम्मिलित किये गये हैं। सूचना प्रौद्यौगिकी के अन्य क्षेत्रों जैसे- ई लर्निंग, ई गवर्नेंस, पर बल दिया गया है। सूचना प्रौद्योगिकी  की व्यवस्थित प्रबंधकीय श्रृंखला है। जिसमें स्ट्रैटजिक प्रबंधन तथा योजना कारकों का समावेश है संस्थान द्वारा एम टैक. , एम बी ए. तथा पी एच डी. कार्यक्रमों की ओर उन्मुख होने वाले स्नातकोत्तर पाठयक्रम संचालित है।

पंच वर्षीय इंटीग्रेटेड स्नातकोत्तर (आई पी जी.) कार्यक्रम - दस सेमेस्टर पूर्ण करने पर यह कार्यक्रम दोहरी डिग्री (स्नातक तथा स्नातकोत्तर) प्रदान करता है। कार्यक्रम का निर्माण इस प्रकार किया गया है जिससे छात्र छ: सेमेस्टर पूर्ण करने के पश्चात एम बी ए अथवा एम टैक. का चयन कर सकता है। छ: सेमेस्टर तक छात्राओं को विशेष और उसके विस्तार के लिये वृहद आयाम प्राप्त होता है। ताकि वे अपने आधार और दृष्टिकोण का विस्तार कर सकें। इसके लिये विज्ञान, मानविकी, प्रबंधन, कंप्यूटर एवं आई टी. विषयों को सम्मिलित किया गया है।

       अखिल भारतीय स्तर पर संचालित होने वाले ए आई आई ट्रिपल ई.अखिल भारतीय यांत्रिक प्रवेश परीक्षा के द्वारा कार्यक्रम में प्रवेश दिया जाता है।

एम टैक (आई टी.) कार्यक्रम (2वर्ष) - सूचना प्रौद्यौगिकी के उभरते हुए छात्रों के लिये तकनीकी रूप से सक्षम वृत्तिकों को तैयार करने के उद्देश्य से एम टैक कार्यक्रम का तकनीकी विकास किया गया है। इस कार्यक्रम का रूपांकन सूचना प्रौद्यौगिकी की अवधारणा के विभिन्न  खण्डों में आवकों के लिये किया गया है। छात्रों का चयन व्यक्तिगत साक्षात्कार तथा जी ए टी ई. में अर्जित  अंकों के आधार पर किया जाता है। एम टैक स्तर पर विशेषज्ञता चार क्षेत्रों में प्रस्तावित है। ये चार क्षेत्र क्रमश: सूचना प्रौद्यौगिकी, उन्नत नेटवर्क, साफ्टवेयर इंजीनियरिंग तथा व्ही एल एस आई. है।

एम बी ए. कार्यक्रम (2 वर्ष )- एम बी ए पाठयक्रम को सूचना प्रौद्यौगिकी के महत्व को रेखांकित करते हुए इस तरह से रूपांकित किया है कि संबंधित सूचना तथा इसके प्रसारण में प्रबंधकीय परिस्थितियों में त्वरित गति में निर्णय लेने योग्य छात्रों को बनाया जा सके। इस कार्यक्रम को प्रबंधन की अवधारणा तथा सूचना प्रौद्यौगिकी दोनों को मिश्रित कर तैयार किया गया है। जी डी. के पश्चात व्यक्तिगत साक्षात्कार तथा कैट के आधार पर संस्थान में छात्र एवं छात्राओं का चयन किया जाता है।

शोध कार्यक्रम (पी एच डी.)- जुलाई 2001 में डाक्टरेट कार्यक्रम प्रारंभ किया गया । संस्थान में संचालित प्रवेश परीक्षा तथा साक्षात्कार के माध्यम से छात्रों का चयन शोध कार्यक्रम के लिये किया जाता है। सूचना प्रौद्यौगिकी तथा प्रबंधन पर बल देते हुए समस्त क्षेत्रों में डाकटोरल कार्यक्रम उपलब्ध कराया गया है। इनमें निम्न लिखित अर्न्तभागी शोध क्षेत्रों को शामिल किया गया। मोबाइल कंप्यूटिंग (संचार प्रणालियों डबल्यू ए पी. वायर लेस नेटवर्किंग आदि) नेटवर्किंग तथा सूचना सुरक्षा (वितरित नेटवर्क, सेन्सर नेटवर्क सूचना सुरक्षा किप्टोग्राफी आदि)

       सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, (एस डब्ल्यू आर्किटेक्चर, अलगोरिथमस - ग्राफ प्रोब्लम ) डाटा स्ट्रक्चर प्रोग्रामिंग लेंग्वेज आपरेटिंग प्रणाली गुणवत्ता प्रबंधन आदि, एम्बेडेड प्रणाली, (वीएलएसआई)डिजाइन डिजीटल सिस्टम डिजाइन, एन ई एम एस. आदि, ह्यूमन सेन्टर्ड कंप्यूटिंग ,एन.एल.पी.ए.एल, एच.सी.एल.  इमेज प्रोसेसिंग स्पीच टैक्नोलॉजी कंप्यूटर विजन एण्ड रोबोटिक्स सीमेन्टिक वेब डब्ल्यू 3 सी. स्टेण्डर्डस लोकेलाइजेशन आदि, ज्ञान प्रबंधन (इन्फार्मेशन इंटीग्रेशन) डीडीएस, एससीएम, ईआरपी, पीएलएम, पीडीएम, आईपीआर तथा गुणवत्ता, प्रबंधन टैक्नोलॉजी बिजनिस इम्क्यूबेशन आदि व्यापार विश्लेषण (डाटा वेयर हाउसिंग माइनिंग,व्यावसायिक बौध्दिकता डाटा, विजुअलाइजेशन जोखिम प्रबंधन आदि) नैनो विज्ञान तथा प्रौद्यौगिकी (मटेरियल मॉडलिंग, नैनो सेन्सर्स, नैनो डिवाइसेज)।

       संस्थान उद्योगों से शोध एवं विकास तथा मानवशक्ति के बेहतर उपयोग के लिये लम्बे  समय तक संबंध कायम करने के प्रयास करता है। सीईओ व्याख्यान ग्रीष्म इन्टर्नशिप तथा परिसर भर्ती आदि के द्वारा उद्योगों के संपर्क में रहते हैं। परिसर के अंदर तथा उसके बाहर दोनों प्रकार से रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये गये हैं। 2008 बैच के 90 प्रतिशत छात्रों को रोजगार प्राप्त हो चुका है।  शेष छात्रों को रोजगार उपलब्ध कराने के प्रयास जारी हैं। 2009 के बैच के रोजगार खोजने के अन्वेशन कार्य भी प्रारंभ हो चुके हैं।

इति।

 

 

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